एक प्रतिशत
काव्य साहित्य | कविता सुमित दहिया15 Feb 2024 (अंक: 247, द्वितीय, 2024 में प्रकाशित)
इस आख़िरी एक प्रतिशत में ख़ुद को बचाए रखता है प्रेम
जैसे ओस की बूँदें वृक्षों से फिसलकर भी
उन पर छोड़ देती हैं एक प्रतिशत गीलापन
हवा के झोंकों के साथ बहते पक्षी
इस एक प्रतिशत उम्मीद में बदल लेते हैं अपना रास्ता
एक प्रतिशत ऊर्जा आदमी को रखती है गर्म
हाँ उसी एक प्रतिशत में ज़िन्दा रहेगा हमारा प्रेम
ख़ुद को बचाये हुए
अपने साथ समेटे हुए अपनी ढेर सारी यादें,
वादे, संघर्ष, सुख-दुख ज़ख़्म और तनाव,
जब तुम पर होने लगे ये एक प्रतिशत हावी
तुम लौट आना मेरे पास वापस।
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