आज संकल्प हम करते हैं
काव्य साहित्य | कविता विजय कनौजिया15 Oct 2022 (अंक: 215, द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)
चलो हमारे प्रेम भवन का
शिलान्यास हम करते हैं
हो निर्माण शीघ्र ही इसका
पहल आज से करते हैं . . .।
सहभागिता तुम्हारी हो तो
प्रेम भवन अपना बन जाए
बस जाओ तुम मन मंदिर में
प्रेमार्पण हम करते हैं . . .।
मुख्य द्वार को पद चिह्नों से
आज विभूषित तुम कर दो
गृहणी बन जाओ इस घर की
इसे सुसज्जित करते हैं . . .।
साथ समर्पण से आओ हम
नवजीवन प्रारंभ करें
जीवन सफ़र सफल हो जाए
यही कामना करते हैं . . .।
हो विपरीत परिस्थिति चाहे
पथ से हम विचलित ना होंगे
सुख-दुःख को मिलकर बाँटेंगे
आज संकल्प हम करते हैं . . .।
आज संकल्प हम करते हैं . . .।
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