फिर से वो बचपन लौटा दो
काव्य साहित्य | कविता विजय कनौजिया15 May 2022 (अंक: 205, द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)
क ख ग घ पुनः पढ़ा दो
स्कूलों की सैर करा दो
हँसते गाते पढ़ने जाएँ
पहली की कक्षा लगवा दो . .॥
छुपन-छुपाई फिर खेलेंगे
पेड़ों से अमियाँ तोड़ेंगे
उछल कूद वाली डाली की
फिर से वो ख़ुशियाँ लौटा दो . .॥
गर्मी की छुट्टियाँ मनाने
फिर से नानी के घर जाऊँ
आइसक्रीम खाने की ज़िद हो
फिर से वो भोंपू बजवा दो . .॥
सुनूँ कहानी पहले वाली
जिसमें राजा-रानी हों
बूढ़ी दादी के संग सोऊँ
फिर से वो खटिया बिछवा दो . .॥
जात-पात का भेद मिटाकर
साथ बैठकर हम खाएँ
सुख-दुःख को हम मिलकर बाँटें
फिर से वो बचपन लौटा दो . .॥
फिर से वो बचपन लौटा दो . .॥
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