वक़्त के संग चलना होता है
काव्य साहित्य | कविता विजय कनौजिया15 Sep 2022 (अंक: 213, द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)
वक़्त कभी अपना होता है
वक़्त कभी सपना होता है
साथ नहीं सीखा यदि चलना
फिर सब कुछ सहना होता है॥
वक़्त सदा गतिमान रहा है
औरों से बलवान रहा है
नहीं की गर क़द्र वक़्त की
फिर एक दिन झुकना होता है॥
जितनी चाहे दौड़ लगा लो
आसमान को चूम भले लो
अगर वक़्त का हुआ अनादर
फिर एक दिन रुकना होता है॥
फ़ख़्र करो यदि सफल हुए हो
मगर ग़ुरूर कभी मत करना
जीत-हार और हार-जीत में
दोनों में लड़ना होता है॥
साहस और धैर्य से ही तो
मिलती विजय सदा कछुए को
सफल जीवन के मूलमंत्र में
वक़्त के संग चलना होता है॥
वक़्त के संग चलना होता है॥
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