रोटी
काव्य साहित्य | कविता सागर कमल23 Jan 2019
ओ रोटी के घेरे गोल
आँख मिला मुझसे तू बोल!
तू मानव की चिर जिज्ञासा
आँख - मिचौली तेरी आशा
राज़ मगर अब सारे खोल
ओ रोटी के घेरे गोल
आँख मिला मुझसे तू बोल!
तू साँसों का अंतिम पाश
उठे, गिरे कितने इतिहास
ऐसा कुछ तेरा भूगोल
ओ रोटी के घेरे गोल
आँख मिला मुझसे तू बोल!
नाश हो, निर्माण हो
स्वप्न हो, अरमान हो
सारा जीवन तेरा मोल
ओ रोटी के घेरे गोल
आँख मिला मुझसे तू बोल!
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