ग़रीब को क्या मिला
काव्य साहित्य | कविता सनी गंगवार 'गुरु'1 Nov 2020 (अंक: 168, प्रथम, 2020 में प्रकाशित)
संसद में होती बहस से
आरोप प्रत्यारोप के ये तीर हैं कैसे
ग़रीबों की छाती होती छलनी
फिर भी क्या ग़रीबों को रोटी मिली?
नये नये जहाज़ बने
पटरी पर बुलेट ट्रेन दौड़ी
महँगी महँगी गाड़ी चली
क्या ग़रीब को चलने के लिए चप्पल मिली?
बड़ी बड़ी मूर्तियाँ बनी
बड़े बड़े भवन बने
बड़े बड़े मंदिर - मस्जिद बने
क्या ग़रीब के लिए घर बने?
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