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दिल तू क्यूँ रोता है

 

दिल तू क्यूँ रोता है, 
क्यूँ पुराने ज़ख़्मों को, 
तू बार बार कुरेदता है, 
क्यूँ अंर्तमन के किवाड़ खोल, 
यादों को बाहर जाने देता है, 
तू भली भाँति जानता है, 
ज़ख़्म फिर हरे हो जाएँगे, 
यादें फिर शोर मचाएँगी, 
आँखों से सैलाब उमड़ आएगा, 
दिल फूट फूटकर रो देगा, 
हाँ मगर एक सच तू भी जान ले, 
तेरे आँसू तुझे ही पोंछने होंगे, 
कोई ना हाथ आगे बढ़ाएगा, 
रोक ले अपने आँसू, 
ज़ख़्मों को हरा मत कर, 
किवाड़ अंर्तमन के बंद कर ले, 
यादें अपनी दफ़न कर दे, 
बात मेरी मान जा, 
दिल तू क्यूँ रोता है। 

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