आँसू
काव्य साहित्य | कविता मंजु आनंद15 Oct 2021 (अंक: 191, द्वितीय, 2021 में प्रकाशित)
आँसू आँखों से यूँ ही नहीं छलक जाते हैं,
खोल कर दिल के किवाड़,
आते हैं ज़ज़्बात जब बाहर
आँसू भी आँखों में उमड़ आते हैं,
आँसू क्या हैं . . .
कुछ बूँदें ही तो हैं, खारे पानी के जैसी,
छलक जाती हैं यह बूँदे जब आँखों से
एक सुकून-सा दिल को दे जाती हैं,
रिश्ता आँसुओ से सदा रहता है जुड़ा,
ग़म हो या हो ख़ुशी,
आँसू हमेशा साथ निभाते हैं,
किसी मँझे हुए अदाकार से कम नहीं हैं यह आँसू,
अदाकारी अपनी यह भी क्या ख़ूब दिखलाते हैं,
आँसू आँखों से यूँ ही नहीं छलक जाते हैं।
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shaily 2022/01/31 08:50 PM
बहुत उम्दा