खो चुका परिचय
काव्य साहित्य | कविता सुमन कुमार घई21 Aug 2004
कल्पना की झील में
वास्तविकता की उफनती
लहरों पर
भावनाओं की डोलती नाव
और मैं किनारा ढूँढता हूँ
लालसा के जंगल में
कुंठा की दलदल
धँसता हुआ
मेरा अस्तित्व
और मैं तिनके का सहारा ढूँढता हूँ
जीवन के मरु में
बीते क्षणों की मरीचिकायें
भागता हुआ
दिशाहीन बदहवास साया
और मैं लौटने का रास्ता ढूँढता हूँ
अनजाने से देश में
मुखौटों की भीड़
कोलाहल में खो चुका
अपना ही परिचय
और मैं दर्पण में अपना चेहरा ढूँढता हूँ
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Anujeet 2019/09/01 07:02 PM
अति उत्कृष्ट रचना सर। मन प्रसन्न हो गया पढ़ कर। शुभकामनाएं