अन्तरजाल पर
साहित्य-प्रेमियों की विश्राम-स्थली

काव्य साहित्य

कविता गीत-नवगीत गीतिका दोहे कविता - मुक्तक कविता - क्षणिका कवित-माहिया लोक गीत कविता - हाइकु कविता-तांका कविता-चोका कविता-सेदोका महाकाव्य चम्पू-काव्य खण्डकाव्य

शायरी

ग़ज़ल नज़्म रुबाई क़ता सजल

कथा-साहित्य

कहानी लघुकथा सांस्कृतिक कथा लोक कथा उपन्यास

हास्य/व्यंग्य

हास्य व्यंग्य आलेख-कहानी हास्य व्यंग्य कविता

अनूदित साहित्य

अनूदित कविता अनूदित कहानी अनूदित लघुकथा अनूदित लोक कथा अनूदित आलेख

आलेख

साहित्यिक सांस्कृतिक आलेख सामाजिक चिन्तन शोध निबन्ध ललित निबन्ध हाइबुन काम की बात ऐतिहासिक सिनेमा और साहित्य सिनेमा चर्चा ललित कला स्वास्थ्य

सम्पादकीय

सम्पादकीय सूची

संस्मरण

आप-बीती स्मृति लेख व्यक्ति चित्र आत्मकथा वृत्तांत डायरी बच्चों के मुख से यात्रा संस्मरण रिपोर्ताज

बाल साहित्य

बाल साहित्य कविता बाल साहित्य कहानी बाल साहित्य लघुकथा बाल साहित्य नाटक बाल साहित्य आलेख किशोर साहित्य कविता किशोर साहित्य कहानी किशोर साहित्य लघुकथा किशोर हास्य व्यंग्य आलेख-कहानी किशोर हास्य व्यंग्य कविता किशोर साहित्य नाटक किशोर साहित्य आलेख

नाट्य-साहित्य

नाटक एकांकी काव्य नाटक प्रहसन

अन्य

रेखाचित्र पत्र कार्यक्रम रिपोर्ट सम्पादकीय प्रतिक्रिया पर्यटन

साक्षात्कार

बात-चीत

समीक्षा

पुस्तक समीक्षा पुस्तक चर्चा रचना समीक्षा
कॉपीराइट © साहित्य कुंज. सर्वाधिकार सुरक्षित

सत्य की खोज

पहले जब वह
सत्य खोजता था
तो राह में अक्सर 
अंगारों से जलता था
 
अब सब शांत है
नया गाँधीवाद है
न कोई बोलता है,
न कोई देखता है
न कोई सुनता है
 
अगर कोई सुनता है 
तो पहले गुनता है
फिर जिसकी चाहता है
उसीकी सुनता है
देखने वाला 
केवल स्वार्थ की –
एक ही आँख खोलता है
बोलने वाला अपने शब्दों को
चाँदी से तौलता है
 
इसीलिए
अब वह जब 
सत्य की खोज में निकलता है
तो राह में बुझे अंगारों की राख
में धँस जाता है
क्योंकि सब शांत है!!
 

अन्य संबंधित लेख/रचनाएं

'जो काल्पनिक कहानी नहीं है' की कथा
|

किंतु यह किसी काल्पनिक कहानी की कथा नहीं…

14 नवंबर बाल दिवस 
|

14 नवंबर आज के दिन। बाल दिवस की स्नेहिल…

16 का अंक
|

16 संस्कार बन्द हो कर रह गये वेद-पुराणों…

16 शृंगार
|

हम मित्रों ने मुफ़्त का ब्यूटी-पार्लर खोलने…

टिप्पणियाँ

shaily 2023/02/01 05:29 PM

अद्भुत लेखन। आपका पक्ष देखा, समझा भी। आप भारत से दूर हैं। यहाँ कुछ भी शान्त नहीं, एक झंझावात है, सन्नाटे में भी शोर है, कसमसाते हुए लोग हैं। गाँधीवाद वस्तुतः कोई वाद था, इस पर शोध की आवश्यकता है। नया गाँधीवाद ना ही पनपे यही ईश्वर से प्रार्थना है।

Arun kumar Prasad 2023/02/01 09:34 AM

वर्तमान काल की पत्रकारिता भविष्य का कोई संकेत नहीं छोड़ता क्योंकि असमंजस में कभी भौतिकता कभी अनैतिकता अपना रहा है। सत्य को कल्पना या भूत में कोई घटित हुई कथा मानता है।

सुनीता आदित्य 2023/01/31 10:31 PM

कटु सत्य... भौतिकता की अंधी दौड़ में फिसलती पत्रकारिता... बहुत नीची हुई ऊंचाईयां हैं....

पाण्डेय सरिता 2023/01/31 10:22 PM

सचमुच अब नया गांधीवाद है। जो शान्त है और स्वार्थ रूपी एक आँख खोलता है. ....।

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

कहानी

कविता

साहित्यिक आलेख

पुस्तक समीक्षा

पुस्तक चर्चा

किशोर साहित्य कविता

सम्पादकीय

विडियो

ऑडियो

उपलब्ध नहीं

लेखक की पुस्तकें

  1. लाश व अन्य कहानियाँ