अन्तरजाल पर
साहित्य-प्रेमियों की विश्राम-स्थली

काव्य साहित्य

कविता गीत-नवगीत गीतिका दोहे कविता - मुक्तक कविता - क्षणिका कवित-माहिया लोक गीत कविता - हाइकु कविता-तांका कविता-चोका कविता-सेदोका महाकाव्य चम्पू-काव्य खण्डकाव्य

शायरी

ग़ज़ल नज़्म रुबाई क़ता सजल

कथा-साहित्य

कहानी लघुकथा सांस्कृतिक कथा लोक कथा उपन्यास

हास्य/व्यंग्य

हास्य व्यंग्य आलेख-कहानी हास्य व्यंग्य कविता

अनूदित साहित्य

अनूदित कविता अनूदित कहानी अनूदित लघुकथा अनूदित लोक कथा अनूदित आलेख

आलेख

साहित्यिक सांस्कृतिक आलेख सामाजिक चिन्तन शोध निबन्ध ललित निबन्ध हाइबुन काम की बात ऐतिहासिक सिनेमा और साहित्य सिनेमा चर्चा ललित कला स्वास्थ्य

सम्पादकीय

सम्पादकीय सूची

संस्मरण

आप-बीती स्मृति लेख व्यक्ति चित्र आत्मकथा यात्रा वृत्तांत डायरी बच्चों के मुख से यात्रा संस्मरण रिपोर्ताज

बाल साहित्य

बाल साहित्य कविता बाल साहित्य कहानी बाल साहित्य लघुकथा बाल साहित्य नाटक बाल साहित्य आलेख किशोर साहित्य कविता किशोर साहित्य कहानी किशोर साहित्य लघुकथा किशोर हास्य व्यंग्य आलेख-कहानी किशोर हास्य व्यंग्य कविता किशोर साहित्य नाटक किशोर साहित्य आलेख

नाट्य-साहित्य

नाटक एकांकी काव्य नाटक प्रहसन

अन्य

रेखाचित्र पत्र कार्यक्रम रिपोर्ट सम्पादकीय प्रतिक्रिया पर्यटन

साक्षात्कार

बात-चीत

समीक्षा

पुस्तक समीक्षा पुस्तक चर्चा रचना समीक्षा
कॉपीराइट © साहित्य कुंज. सर्वाधिकार सुरक्षित

भीष्म – कृष्ण संवाद

व्रती भीष्म के बाणों से,
पाण्डव दल का संहार देख।
क्रोधातुर हो श्रीभगवान् उठे,
प्रत्यक्ष धर्म की हार देख॥
 
चक्का ले रथ का हाथों में,
वे ओर भीष्म की दौड़ पड़े।
थर थर काँपते थे दोनों दल,
कुछ थे सहमे, कुछ मौन खड़े॥
 
समीप भीष्म के जाकर के,
वे गर्जित मेघों सम बोल उठे।
कँप - कँप कँपने लगी धरा,
लोक चतुर्दिश डोल उठे॥
 
हे भीष्म सुनो रक्षार्थ धर्म के ,
निज का मैं प्रण तजता हूँ।
सावधान हो जाओ तुम,
मैं अभी तुम्हारा वध करता हूँ॥
 
अभिमान अपना छोड़कर,
रथ त्यागकर, कर जोड़कर।
वह योद्धा मही पर आ गया,
भाल उसका झुक गया,
मानो निधि कोई पा गया॥
 
बोला समीप जाकर प्रभु के,
हे केशव! इस तुच्छ सेवक के वचन का,
मान तुमने रख लिया।
निज वचन को त्यागकर भी,
अभिमान मेरा ढक लिया॥
 
मुक्त करो हे केशव मुझको,
अब इस जर्जर काया से।
सौभाग्य मेरा अति गुरुतर है,
यदि मैं मरूँ, तुम्हारे हाथों की माया से॥

अन्य संबंधित लेख/रचनाएं

'जो काल्पनिक कहानी नहीं है' की कथा
|

किंतु यह किसी काल्पनिक कहानी की कथा नहीं…

14 नवंबर बाल दिवस 
|

14 नवंबर आज के दिन। बाल दिवस की स्नेहिल…

16 का अंक
|

16 संस्कार बन्द हो कर रह गये वेद-पुराणों…

16 शृंगार
|

हम मित्रों ने मुफ़्त का ब्यूटी-पार्लर खोलने…

टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

कविता

हास्य-व्यंग्य आलेख-कहानी

स्मृति लेख

गीत-नवगीत

कविता - क्षणिका

हास्य-व्यंग्य कविता

कविता - हाइकु

कहानी

बाल साहित्य कविता

किशोर साहित्य कविता

विडियो

उपलब्ध नहीं

ऑडियो

उपलब्ध नहीं