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कौन देता है इतना साहस!

कौन देता है
सूरज को इतना साहस! 
घने, अँधेरे, बर्फ़ीले
बादलों को चीरकर
बाहर आने का॥
 
कौन देता है
फूलों को मुस्कुराने का साहस! 
जबकि पता हो कि
रात को मुरझा जाना निश्चित है॥
 
कौन देता है
वृक्षों को साहस! 
अपनी सब पुरानी पत्तियाँ छोड़ने का, 
एकदम अकेले हो जाने का, 
और नई कोंपलों के स्वागत करने का . . . 
 
कौन देता है
हमें साहस! 
पहाड़ की खड़ी चढ़ाई में भी, 
अपने लड़खड़ाते क़दम सँभालने का, 
और फिर शिखर की ओर बढ़ने का॥
 
शायद वह विराट! 
जो हम सबके हृदय में है, 
हर एक क़दम पर वह साथ होता है, 
चाहे हम कितने भी अकेले क्यों न हों . . .॥

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टिप्पणियाँ

shaily 2022/01/31 02:04 PM

अच्छी रचना

Sarojini Pandey 2022/01/31 11:05 AM

बहुत सुन्दर ,शुभकामनाएं

कृपया टिप्पणी दें

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