अचार
हास्य-व्यंग्य | हास्य-व्यंग्य आलेख-कहानी अभिषेक पाण्डेय1 Jun 2024 (अंक: 254, प्रथम, 2024 में प्रकाशित)
अचार एक नशा है! अचार की खोज दारू, गाँजा या फिर चरस खोजने वाले किसी व्यक्ति ने अथवा उसके वंशज ने ही की होगी, ऐसा मेरा अनुमान है। अचार नशा क्यों है? ये बताने से पहले अचार की क़िस्में बता देता हूँ! आपको बाँह पकड़ा देता हूँ, आप कॉलर तक ख़ुद-ब-ख़ुद पहुँच जायेंगे!
अचार की तमाम क़िस्में हैं:
1) देशभक्ति का अचार
2) वादों का अचार
3) युद्धों का अचार
4) धर्म का अचार
लाप-लाप-लाप!
अलग-अलग लंच बॉक्स के हिसाब से अलग-अलग अचार प्रेफ़र किये जाते हैं! अगर खाने को केवल एक रोटी अवेलेबल है और कोई भी सब्ज़ी या दाल नहीं है, तो देशभक्ति का अचार इस्तेमाल होता है! इसी का एक छोटा भाई है—अगर आपके पास एक रोटी भर है और आपको दूसरी रोटी किसी चीनी या पाकिस्तानी के हाथ में दिख जाए तो युद्ध का अचार यूज़ होता है!
धर्म का अचार सबसे सुपाच्य होता है—अगर आपके पास न तो रोटी है और न ही सब्ज़ी या दाल! तब धर्म का अचार यूज़ किया जाता है जिसे आदमी अपने शरीर में संचित ग्लाइकोजन के साथ गबड़ कर खाता है!
अब बात करते हैं, सबसे ज़्यादा उपयोग में आने वाले अचार की! इसकी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट संसद है! ये सन् 47 के बाद से ही अबाध गति से प्रोड्यूस हो रहा है और खप रहा है! यह नेताओं के मुँह से हर पाँच साल में एक बार बनता है और जनता द्वारा कानों से खाया जाता है! शेष मल खूँट के रूप में कान में एकत्रित हो जाता है!
अब एक वैज्ञानिक पक्ष की बात कर लेते हैं—अचार के शोधकर्ताओं ने हरित क्रांति को एक नई दिशा दी है! जहाँ हरित क्रांति में उत्पादन बढ़ाने पर ज़ोर था, वहीं अचार की खोज पश्चात् अब दाल और सब्ज़ी जैसी निरर्थक चीज़ों की आवश्यकता ही ख़त्म हो गई! एक और बात-अचार जितना पुराना होता है, उतना ही प्रभावी होता है-एकदम आयुर्वेदिक दवा की तरह! ज़्यादा पुराने अचार की एक फाँक को भी दो हिस्सों में बाँटकर दो लोगों की सब्ज़ी और दाल का सबस्टिट्यूट बनाया जा सकता है!
ॐ अचाराय नमो नमः!
सभी अचार के निर्माताओं और उपभोक्ताओं को सादर प्रणाम!
आप लोग अचार के निर्माण और खपत के अपने पुराने रिकॉर्ड तोड़ते रहें और इतिहास रचते रहें!
अन्य संबंधित लेख/रचनाएं
60 साल का नौजवान
हास्य-व्यंग्य आलेख-कहानी | समीक्षा तैलंगरामावतर और मैं लगभग एक ही उम्र के थे। मैंने…
(ब)जट : यमला पगला दीवाना
हास्य-व्यंग्य आलेख-कहानी | अमित शर्माप्रतिवर्ष संसद में आम बजट पेश किया जाता…
टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
कविता
- A Sunset
- अक्खड़ बाल
- अचानक कुछ कौंधा!
- अब आलिंगन न होगा . . .
- अब राह नहीं छोड़ूँगा
- अबूझी मंज़िल अनजानी राहें
- आ रही गहरी निशा है
- आओ विकास
- आग न उठती हो जिसके अंतर में
- आत्मस्वीकार
- आहटें आती रहीं पर तुम न आई
- इंतज़ार कर, होगा सबेरा . . .
- उछलो!
- उतरो रे सूर्य गगन से . . .
- एक अधूरा मरा स्वप्न
- एक किरण पर्याप्त है!
- एक रात की पढ़ाई
- ऐ पथिक तूँ चल अकेला
- ऐसी कविता रच डाल कवि!
- ओ टिमटिमाते दीप!
- ओस
- कब पूर्ण होगी यह प्रतीक्षा
- कवि की अमरता
- कविता और जीविका: दो विचार
- कविता का ढाँचा!
- कविता में गाली!
- कहीं देर न हो जाए!
- कामना!
- कोई नहीं है साथ . . .
- कौन देता है इतना साहस!
- क्रान्ति
- गणतंत्र
- चल-चल चल-चल चल-चल चल
- चलने दो समर भवानी....
- जागी प्रकृति फिर एक बार . . .
- जागो मत!
- जीवन-नौका खेते रहना
- झपकी
- झुग्गियों के सवाल . . .
- झोपड़ी की सैर
- डूबता अंतिम सितारा
- तुम्हारे शून्य में!
- तेरी याद नहीं आई!
- थिरक थिरक रे थिरक थिरक मन . . .
- दिन और रात
- धरा के निश्वासों में न ढूँढ़ो गगन को
- धूप और बारिश
- निराशा
- निर्जीव!
- पाँव मेरे मत बहकना!
- प्रबल झंझावात है . . .
- फिर कभी!
- फिर तुम्हारी याद आई
- बस इतना करती हैं कविताएँ
- बोलो!
- भक्त की पुकार
- भटकन!
- भर परों में आग पक्षी
- भीष्म – कृष्ण संवाद
- भोर अकेला साँझ अकेली
- महाकवि निराला
- महाराणा को श्रद्धांजलि
- मित्र के प्रति!
- मुकुट धरो हिंदी के सर पर . . .
- मेरे पिताजी!
- मैं अपना दुख-द्वन्द्व लिए फिरता हूँ!
- मैं क्यों अपनी पतवार तजूँ?
- मैं सदा खोजता रहा रश्मि
- मैं ज़मीन पर हूँ
- मैंने ख़ुद का निर्माण किया है
- यह क़लम समर्पित न होगी . . .
- युग उसको न क्षमा करेगा!
- रात के घुप अँधेरे में
- विचार
- शूर! समर में जाना होगा . . .
- संवेदना-2
- सजा हुआ जंगल
- सरस्वती - वन्दना
- सवाल!
- सहज हूँ . . .
- साफ़ सुथरे कमरे!
- सूरज का छल
- हतोत्साहित मन
- हारों की शृंखला
- हीनता का अतिराष्ट्रवाद!
- हुंकार
- हे उदासी
- हे ध्वज मेरे
- हे मेरे कवि!
- हे हरि!
- ग़लतफ़हमी
हास्य-व्यंग्य आलेख-कहानी
स्मृति लेख
गीत-नवगीत
कविता - क्षणिका
हास्य-व्यंग्य कविता
कविता - हाइकु
कहानी
बाल साहित्य कविता
किशोर साहित्य कविता
विडियो
उपलब्ध नहीं
ऑडियो
उपलब्ध नहीं