पहाड़
काव्य साहित्य | कविता दीपक कोहली1 Jun 2024 (अंक: 254, प्रथम, 2024 में प्रकाशित)
पहाड़ और पहाड़ का दर्द
लिखना बहुत कठिन है।
क्योंकि!
कभी नदी लिखनी पड़ेगी . . .
कभी पहाड़ लिखने पड़ेंगे . . .
कभी हवा लिखनी पड़ेगी . . .
कभी बारिश लिखनी पड़ेगी . . .
कभी धूप लिखनी पड़ेगी . . .
तो कभी बर्फ़ लिखनी पड़ेगी . . .
इतना सब कुछ लिखने के बाद भी
तुम अपनी कविता को पहाड़ जैसा
स्वर्ग नहीं बना पाओगे।
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