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नए वर्ष की बधाई

 

(मेरी पुस्तक ‘युग प्रवाह का साहित्य’ 2022 से उद्धृत)

 

नए वर्ष की शुरूआत में

ग्रीटिंग कार्डों की बरसात है रंगीन लिफ़ाफ़ों में

किन्तु ‘हैपी न्यू ईयर’ ‘नव वर्ष मंगलमय हो’

जैसे परिचित सन्देशों में नएपन का अभाव है,

शायद उन्हें हमारी ज़िन्दगी में रुचि नहीं है

उनमें औपचारिक शब्दों का मायाजाल है ।

नयापन प्रतीक है युग-प्रवाह का, प्रगति का

अतः ‘मैकडोनाल्ड’ का बर्गर भी स्वाद बदलता है!

 

मैंने भी मित्रों को सन्देश भेजा है

उनके जीवन को छूने का प्रयास किया है

और नयी तस्वीर का आईना दिखलाया है ।

 

एक मित्र को लिखा:

गत वर्ष की दुर्घटना से निकलने की बधाई

स्पीड कम करो, नए वर्ष की बधाई!

दूसरे पड़ोसी को लिखा:

गत वर्ष तलाक़ की वेदना से बचने की बधाई

आपसी विश्वास बढ़ाओ, नए वर्ष की बधाई!

तीसरे सहकर्मी को लिखा:

अभी-अभी दिवालिया होने से बचने की बधाई

क्रेडिट कार्ड पर अंकुश लगाओ, नए वर्ष की बधाई!

चौथे नवयुवक को लिखा:

नशा सेवन के बाद भी दण्डित नहीं होने की बधाई

ड्रग छोड़ो या संयम करो, नए वर्ष की बधाई!

 

सबों के अन्त में लिखा:

मेरे सन्देश में थोड़ा तीखापन है, व्यंग्य है

किन्तु संवेदनशील है, समयोचित है;

यदि यह अपाच्य लगे

तो क्षमा प्रार्थी हूँ, कृपया स्वीकार करें ।

 

मैंने अपनी प्रेयसी को लिखा:

जब आर्थिक संकट का दर्द हमारे दिल में था

दायित्व का बोझ था, अकेलापन का दंश था

तब तुम्हारे प्यार में ख़ुशियों का भण्डार था

तुम्हारे शब्दों में संजीवनी का स्वाद था

इन सबों के लिए हार्दिक बधाई,

हमारे प्रेम का सागर सूखे नहीं

तुम्हारा साथ छूटे नहीं

इसी कामना के साथ ‘नए वर्ष की बधाई’ ।

 

फिर मैं स्वतः बोल उठा:

मेलबोर्न की अनुपम नगरी लगती नहीं पराई

हरियाली सुन्दरता पूरित ‘नए वर्ष की पुनः बधाई’ ।

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