नया वर्ष नयी जागृति
काव्य साहित्य | कविता डॉ. कौशल श्रीवास्तव1 Jan 2024 (अंक: 244, प्रथम, 2024 में प्रकाशित)
(मेरी पुस्तक ‘कविता कलश’ 2017 से उद्धृत)
आओ मित्रों गले लगाकर गिला-शिकवा भूल जाएँ
नया वर्ष में नयी उमंगें फिर से वापस लाएँ
नयी जागृति, नयी दोस्ती, अनुपम दीप जलाएँ
नये वर्ष की मंगल कामना जग-जग में फैलाएँ।
देखें अपने अग़ल-बग़ल में प्रकृति की मुस्कान
सोचें, समझें उनके संवादों का अभिज्ञान
नये मित्रों में पर्यावरण को रखें अपने साथ
आने वाले वर्षों में पकड़ें उनका हाथ
नयी शताब्दी, नयी समस्या, उनका करें निदान
नये वर्ष का यही धर्म है, यही ज्ञान-विज्ञान।
नये वर्ष का नया रंग जब धूमिल पड़ जाता है
पुनः इसे रंजित करने को नया वर्ष आता है
नयी चेतना, नयी कहानी, साथ-साथ लाता है
जीवन के नवीकरण का सन्देश सुना जाता है।
नये समाज में, नये देश में, अपना संकल्प दुहराएँ
भारत की संस्कृति का झंडा मिलकर हम फहराएँ,
वैश्वीकरण का नया ज़माना ख़ुशी-ख़ुशी अपनाएँ
नये वर्ष की मंगल कामना जग-जग में फैलाएँ।
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