नमस्कार हम बिहारी हैं
काव्य साहित्य | कविता जय प्रकाश साह ‘गुप्ता जी’1 Aug 2024 (अंक: 258, प्रथम, 2024 में प्रकाशित)
दिन रात एक करते हैं,
मेहनत से ना डरते हैं,
पूरी अपनी तैयारी है,
नमस्कार हम बिहारी हैं।
खान पान अपना अनोखा है,
विश्व प्रशिद्ध लिट्टी चोखा है,
हमने छप्पन भोग पसारी है
नमस्कार हम बिहारी हैं।
बुद्ध ने जहाँ पाया ज्ञान,
महावीर जन्मे महान,
जिनकी दुनियाँ आभारी है,
नमस्कार हम बिहारी हैं।
चन्द्रगुप्त, अशोका,
आर्यभट का आह्वान है,
पूरे विश्व को देने वाला
नालंदा का ज्ञान है,
राष्ट्रपिता गाँधीजी के
चंपारण के क्रान्तिकारी हैं,
नमस्कार हम बिहारी हैं।
पत्नी के वियोग में माँझी ने,
वर्षों पहाड़ खंगाला था,
सिर्फ़ छेनी और हथौड़े से
पर्वत धुल डाला था,
प्रेम प्रतीक के हम अधिकारी हैं,
नमस्कार हम बिहारी हैं।
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