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बाबा धाम (देवघर) 

 

उम्मीदों की लेकर गठरी, चले बाबा के द्वारे, 
मनोकामना पूरी करेंगे, शिव-शम्भू हमारे, 
चलो काँवरियाँ, बाबा की नगरिया 
लगाके बाबा के जयकारे॥
 
पहन गेरुआ, काँवर लेकर पहुँचेंगे गंगा किनारे, 
गंगा जी में डुबकी लेके, धुल जायेंगे पाप हमारे, 
लेंगे जल सुल्तानगंज से, सारे संकल्प सकारे, 
देवघर में जल ढारेंगे, बाबा तेरे सहारे॥
 
कठिनाई आती राह में, आत्मा से कराहे, 
घाव-फोड़ा होने पर भी, हिम्मत कोई ना हारे, 
कड़ी धूप, तपती धरती, फिर बारिश की बौछारें, 
चलते रहते हैं फिर भी, लगाके ‘बोल बम’ के नारे॥
 
पहले दिन तारापुर, फिर कुमारसार में डेरा डारे, 
टंकेश्वर-अबरक्खा पहुँच, विश्राम करते सारे, 
इनराबन पार कर, पहुँचते झारखण्ड द्वारे, 
मिट जाती है थकान सबकी, ख़ूब झूमते प्यारे॥
 
महिमा प्यारी ठंठनिया की, शब्दों में कैसे बखारे, 
तृप्त आत्मा हो जाती है, खाकर उनके भंडारे, 
सेवा करते मन से इतने, बने भक्तों के सहारे, 
दानदाता, सेवाकर्ता, मनोकामना पूरी हो कहते सारे॥
 
पाँव रखते ही देवघर में, कष्ट दूर हो जाते, 
आँखें चुंधिया जाती हैं, देख बाबा नगरी के नज़ारे, 
बाबा को जलाभिषेक कर, मुक्ति पाते सारे 
यही प्रार्थना है उनसे, जीवन हमारा सुधारें॥
 
छोड़ के अपने सारे काम, लेकर बाबा का नाम, 
चलो दोस्तों बाबा धाम॥
बोल बम, बोल बम, बोल बम॥

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