वो पहली नज़र
काव्य साहित्य | कविता डॉ. पुनीत शुक्ल1 Sep 2023 (अंक: 236, प्रथम, 2023 में प्रकाशित)
समय के पन्नों की गर्द हटाई तो नज़र आई
वो पहली नज़र
अरसे बाद ख़ुद से ख़ुद की बात कराई तो
नज़र आई वो पहली नज़र
वो अठखेलियाँ करती हुई ज़िन्दगी
जब फिर से मुस्कुराई तो नज़र आई
वो पहली नज़र
ज़िन्दगी जिस्म से होते हुए
जब रूह तक उतर आई तो नज़र आई
वो पहली नज़र।
ज़िन्दगी के बोझिल सफ़र से बाहर
जब ली पहली अँगड़ाई तो नज़र आई
वो पहली नज़र
जब सर्द सुबह वो रज़ाई की सलवटें
सहलाईं तो नज़र आई
वो पहली नज़र
समाज के तंज़ से जब फिर एक बार
आँखें छलक आईं तो नज़र आई
वो पहली नज़र
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