प्रियतम
काव्य साहित्य | कविता डॉ. पुनीत शुक्ल1 Nov 2023 (अंक: 240, प्रथम, 2023 में प्रकाशित)
मन्द पवन के झोंके से तुम, दिल में उतरते आना प्रियतम
पुरवाई की सुरम्य गंध को, संग में लेते आना प्रियतम
आकर मेरे संकल्पों को, और सुदृढ़ तुम बनाना प्रियतम
दिल में उमड़ते यक्ष प्रश्न का, सार्थक हल बन जाना प्रियतम
जीवन की हर ऊँच-नीच में, हर पल साथ निभाना प्रियतम
हो फिर शरद, बसंत या सूखा, कभी न पीठ दिखाना प्रियतम
कभी जो मेरी बात चुभे कोई, दिल से तुम न लगाना प्रियतम
घाव हरे हों जब भी दिल के, मरहम तुम बन जाना प्रियतम
कहूँ अलविदा जब दुनिया को, आँख में अश्रु न लाना प्रियतम
मेरा सिर निज गोद में रखकर, मन्द-मन्द सहलाना प्रियतम
चेहरे में मुस्कान बिखेरे, पीड़ा कम कर जाना प्रियतम
मन्द पवन के झोंके से तुम, दिल में उतरते आना प्रियतम
अन्य संबंधित लेख/रचनाएं
टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
कहानी
कविता
नज़्म
विडियो
उपलब्ध नहीं
ऑडियो
उपलब्ध नहीं