धुआँ
काव्य साहित्य | कविता बसन्त राघव15 Nov 2023 (अंक: 241, द्वितीय, 2023 में प्रकाशित)
हमें नहीं चाहिए ऐसी ऊँचाइयाँ
जहाँ साँसों में ज़हर घुला हो
विकास का हिमालय व्यर्थ है
जो तेज़ाबी बर्फ़ से ढका हो
हमें नहीं चाहिए ऐसा वरदान
जो अनीति के पलड़े में तुला हो
हमें नहीं चाहिए फ़ायदे का बाज़ार
जिसके पीछे शोषण का व्यापार हो
अन्य संबंधित लेख/रचनाएं
टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
लघुकथा
नज़्म
कविता
कहानी
विडियो
उपलब्ध नहीं
ऑडियो
उपलब्ध नहीं