कड़वाहट और रिश्ते
काव्य साहित्य | कविता संजय एम. तराणेकर1 Sep 2024 (अंक: 260, प्रथम, 2024 में प्रकाशित)
कड़वाहट तो
सभी रिश्तों में होती है।
बस, मोहब्बत की चाशनी,
उसे धागे में पिरोती है।
इस ज़िन्दगी में यारों
नज़दीकियों के चक्के,
चलते ही रहने चाहिएँ।
स्नेह का बंधन और
एक-दूसरे के दुःखों को
सहलाते रहना चाहिए।
कोई कितना भी चाहे,
हमें ख़ुद पर भी ऐतबार
होना ही चाहिए।
जो बिखर जाए,
वो रिश्ते ही नहीं
कौन कहता हैं कि
हम वो फ़रिश्ते नहीं।
क्योंकि कड़वाहट तो
सभी रिश्तों में होती हैं।
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