अहसास आस-पास
काव्य साहित्य | कविता संजय एम. तराणेकर15 Sep 2024 (अंक: 261, द्वितीय, 2024 में प्रकाशित)
किसी का होना इतना आसाँ नहीं।
जब ख़ुद की ही कोई पहचान नहीं।
तुम्हें तो डूब के करना होगा प्यार।
बिन इसके अपना जीना है बेकार।
चाहे हो जाए कितनी भी तकरार।
एक-दूजे पर कभी ना करना वार।
ख़ूब खाओ क़समें निभाओं रस्में।
जमाने को करलों अपने ही बस में।
एक तू है जिसका मुझे अहसास है।
ऐसा लगता है तू मेरे आस-पास है।
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