काम आऊँगा एक दिन तुम्हारे ताक़त की तरह
काव्य साहित्य | कविता आनंद त्रिपाठी ‘आतुर’1 Jun 2024 (अंक: 254, प्रथम, 2024 में प्रकाशित)
मुझे सम्भालो न मेरे दोस्त अमानत की तरह
पड़ा रहने दो मुझे यहाँ आफ़त की तरह
इस क़द्र सबके सीने में उतर जाऊँगा मैं
की छोड़ न पाओगे मुझे आदत की तरह॥
याद रखो मुझे तुम एक कहावत की तरह
छोड़ना नहीं कभी मुझे बग़ावत की तरह
यूँ मुसाफ़िर समझ साथ में चलते रहना
काम आऊँगा तुम्हारे एक दिन ताक़त की तरह॥
मैं क़लम का तेज हूँ पढ़ो मुझे अक्षर की तरह
रोशन करूँ जहाँ सारा दिनकर की तरह
तुम कितना भी मिटाने की कोशिश कर लोगे
भूल न पाओगे मुझे तुम सिकंदर की तरह॥
नर्मदा का जल हूँ शीतल पत्थर हूँ संगमरमर की तरह
एक हूँ हर जगह हमेशा देखो अम्बर की तरह
कभी भी किसी शख़्स को नहीं सताया मैंने
कभी नहीं था न रहूँगा मैं सितमगर की तरह॥
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