कर लेता मैं प्यार
काव्य साहित्य | कविता आनंद त्रिपाठी ‘आतुर’1 Jun 2024 (अंक: 254, प्रथम, 2024 में प्रकाशित)
जीवन में मेरे क्लेश यही है
जन जन का संदेश यही है
चलता चाहे जिस पथ पर मैं
कर लेता अगर प्यार प्रिय मेरे जीवन का संताप
तेरे ही बाँहों को तरसा, पाया कुछ ना बीती बरखा
ठगा हुआ जीवन ये मेरा, बचा हुआ जीवन ये मेरा
किसके दर-दर जाकर भटकूँ पाऊँ कहाँ पनाह
प्रिये यदि कर कर लेता मैं प्यार . . .
इच्छाएँ मेरी कितनी प्रबल थीं कितनी थीं आशाएँ
दर्द भरा ज़ख़्मों का यह दिल है कैसे तुझे बताएँ
पग पग पर कंकड़ पत्थर चुन-चुन थे स्वयं हटाए
हिम्मत थी नहीं कर देता मैं प्यार का इज़हार
प्रिये यदि कर कर लेता मैं प्यार . . .
तू रुठे मैं तुझे मनाता दूर कभी तेरे पास भी आता
हाथों को हाथों में लेकर होंठों को होंठों से छू कर
थोड़ा तू भी शर्मा जाती थोड़ा मैं भी शर्मा जाता
हम दोनों के बीच कहो ना क्या होता व्यापार
प्रिये यदि कर लेता मैं प्यार . . .
आँखों से ही सब हो जाती छुप-छुपकर के बातें
प्रेम से तेरे गले जो लगता क्या होती हों रातें
पायल की रुनझुन बोली सुन
सुन चूड़ी कंगन की धुन सुन
चाँदनी रात बंसी के स्वर सुन
एक महका करता मेरा भी छोटा सा संसार
प्रिये यदि कर लेता मैं प्यार . . .
घुलमिल बातें जो तुमसे की थीं
ख़त चिट्ठीयाँ जो तुमको दी थीं
उस ख़त में मेरी लिखित शायरी
मेरे मोहब्बत की थी डायरी
तुम गर उसको लौटा देती
खुलता ना ये राज़
प्रिये यदि कर लेता मैं प्यार . . .
प्रिये यदि कर लेता मैं प्यार
रहता ना जीवन में मेरी कोई फिर संताप
प्रिये यदि कर लेता मैं प्यार
प्रिये यदि कर कर लेता मैं प्यार॥
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