जीवन रूपी चाय!
काव्य साहित्य | कविता डॉ. माध्वी बोरसे1 Dec 2021 (अंक: 194, प्रथम, 2021 में प्रकाशित)
बचपन हमारा, सफ़ेद दूध जैसा,
ज़िंदगी ने लगाया, उबाल यह कैसा,
क्यों ना, ज़िंदगी को एक स्वादिष्ट चाय बनाएँ,
इसकी ख़ुशबू से, जीवन को महकाएँ!
ना कोई जल्दबाज़ी, ना बहुत देरी,
धीमी आँच पर चाय, बने और सुनहरी,
छान ले हर एक व्यक्ति,
आलोचना रूपी चाय पत्ती!
थोड़ी सी मिश्री, हमारी मुस्कान,
रखें हमेशा, इलायची सी पहचान,
अदरक और लौंग सा, हमारा ताप,
थोड़ा सा स्वाद, बाक़ी छानकर निकाल लें आप!
बन गई हमारी, जीवन रूपी चाय,
इसे पूरे प्रेम और धैर्य के साथ बनाएँ,
नासमझ शिशु से, प्रतिष्ठित व्यक्ति बन जाएँ,
कच्चे दूध से, स्वादिष्ट चाय बनाएँ!
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