आओ मिल हम दीप जलाएँ
काव्य साहित्य | कविता डॉ. संतोष गौड़ 'राष्ट्रप्रेमी'1 Oct 2025 (अंक: 285, प्रथम, 2025 में प्रकाशित)
दीपावली पर दीप जलाएँ।
अंतर्मन को हम महकाएँ।
सहयोग, समन्वय व सौहार्द से
आओ मिल हम दीप जलाएँ।
दिल से दिल मिल गीत सुनाएँ।
ख़ुद सीखें, औरों को सिखाएँ।
ज्ञान को व्यवहार में लाकर,
आचरण अपना शुद्ध बनाएँ।
पथ में सबका साथ निभाएँ।
जीवन ख़ुशियों से चमकाएँ।
धोखे और कपट से प्यारे,
भूल किसी को नहीं लुभाएँ।
अपने-अपने गीत न गाएँ।
कमज़ोरों को ना ठुकराएँ।
अकेले-अकेले चलोगे कब तक?
आओ मिल हम दीप जलाएँ।
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