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गुरुनानक देव की शिक्षाओं की प्रासंगिकता

गुरुनानक जयन्ती पर विशेष
(बुधवार, 5 नवंबर, 2025)

गुरु नानक जयंती सिख धर्म के संस्थापक और पहले गुरु, गुरु नानक देव जी के जन्मदिन के उपलक्ष्य में मनाई जाती है। इस पवित्र दिन को प्रकाश पर्व के रूप में भी जाना जाता है। गुरु नानक देव जी ने अपने ज्ञान और कर्म से समाज में फैले अज्ञान और अंधकार को दूर करने की न केवल पूरी कोशिश की, वरन्‌ अपने आपको देश, समाज व धर्म को समर्पित कर दिया। सिख शब्द शिष्य से बना माना जाता है। मान्यता के अनुसार इसका अर्थ ईश्वर के शिष्य से लिया जाता है। सिख धर्म कोई अलग धर्म नहीं है। यह धर्म की सनातन परंपराओं और जीवन मूल्यों की पुनर्स्थापना है। ईश्वर की सर्वव्यापकता और सर्वोच्चता की धारणाओं को स्वीकार करके समाज में मानवीय मूल्यों की स्वीकारोक्ति सिख धर्म से हुई।

गुरु नानक देव जी का जन्म कार्तिक पूर्णिमा के दिन पाकिस्तान में स्थित श्री ननकाना साहिब में हुआ था। वे न केवल एक महान आध्यात्मिक गुरु थे जिन्होंने लोगों को प्रेम, एकता और भाईचारे का संदेश दिया, वरन्‌ वे समाज सुधारक और पथ निर्माता भी थे जिस पर स्वयं चलकर उसकी प्रामाणिकता स्थापित की। उनकी शिक्षाएँ आज भी प्रासंगिक हैं और लोगों को सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करती हैं। वर्तमान जीवन मूल्यों के क्षरण, बढ़ती हुई नफ़रत और विनाश के कगार पर खड़े विश्व को गुरुनानक देव की शिक्षाएँ ही बचा सकती हैं।

गुरु नानक देव जी की प्रमुख शिक्षाओं में ‘एक ओंकार’, ‘कीरत करो’, ‘वंड छ्को’ और ‘नाम जपो’ आदि थीं।

एक ओंकार के माध्यम से गुरु नानक देव जी ने हमें एक परमात्मा की संतान होने का संदेश दिया, जिससे हमें जातिवाद और भेदभाव से दूर रहने की प्रेरणा मिलती है।

कीरत करो के माध्यम से गुरु नानक देव जी ने लोगों को मेहनत करने और ईमानदारी से जीवन यापन करने की शिक्षा दी। उनका मानना था कि मेहनत और ईमानदारी से ही मनुष्य का जीवन सफल होता है।

वंड छको अर्थात्‌ बाँटकर खाने के माध्यम से गुरु नानक देव जी ने लोगों को दूसरों की मदद करने और साझा करने की शिक्षा दी। उनका मानना था कि हमें अपने संसाधनों को दूसरों के साथ बाँटना चाहिए और उनकी मदद करनी चाहिए।

नाम जपो के द्वारा गुरु नानक देव जी ने लोगों को प्रभु के नाम का सिमरन करने की शिक्षा दी। उनका मानना था कि प्रभु का नाम जपने से मनुष्य को शान्ति और मुक्ति मिलती है।

गुरु नानक जयंती एक महत्त्वपूर्ण पर्व है जो हमें गुरु नानक देव जी की शिक्षाओं को याद दिलाता है। उनकी शिक्षाएँ आज भी प्रासंगिक हैं और लोगों को सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करती हैं। आइए, हम गुरु नानक देव जी की शिक्षाओं को अपने जीवन में अपनाएँ और उनके दिखाए मार्ग पर चलने का प्रयास करें। गुरु नानक देव जी की शिक्षाएँ वर्तमान में भी अत्यधिक प्रासंगिक हैं। उनकी शिक्षाएँ हमें जीवन जीने का सही तरीक़ा सिखाती हैं और समाज में एकता, प्रेम, और सेवा के मूल्यों को बढ़ावा देती हैं।

आइए विचार करते हैं कि उनकी शिक्षाएँ वर्तमान में कैसे प्रासंगिक हैं। वर्तमान में समाज, देश और विश्व के परिदृश्य में हम देखते हैं कि समाज में विभाजनकारी शक्तियाँ बढ़ रही हैं। आतंकवाद कुछ संगठनों और राज्यों की नीतियों में दिखाई दे रहा है। नैतिकता और मानवीय मूल्य किताबों और भाषणों तक सीमित होते जा रहे हैं। वैश्विक स्तर पर युद्धों की छाया दिखाई दे रही है। बाल-वृद्ध और महिलाओं के साथ अत्याचार व अनाचार बढ़ रहे हैं। धन ही सम्बन्धों का आधार बनता जा रहा है। ऐसी स्थिति में गुरु नानक देव जी की शिक्षाएँ वर्तमान में समाज के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण हैं। उनकी शिक्षाएँ हमें समाज में एकता और प्रेम को बढ़ावा देने के लिए प्रेरित करती हैं। जातिवाद और भेदभाव से दूर रहने के लिए प्रेरित करती हैं। मेहनत और ईमानदारी से जीवन यापन करने के लिए प्रेरित करती हैं। दूसरों की मदद करने और संसाधनों को साझा करने के लिए प्रेरित करती हैं।

आज के समय में, जब समाज में कई चुनौतियाँ हैं। समस्याएँ सुरसा के मुँह की भाँति बढ़ती जा रही हैं। सिख धर्म के नाम पर भी कुछ लोग विभाजनकारी व आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा देते दिखाई दे रहे हैं। ऐसी स्थिति में गुरु नानक देव जी की शिक्षाएँ हमें सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करती हैं। वे वर्तमान में और भी अधिक प्रासंगिक हो गई हैं। उनकी शिक्षाएँ हमें समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए प्रेरित करती हैं और हमें एक बेहतर भविष्य की ओर ले जाती हैं। आओ हम उनकी शिक्षाओं को आत्मसात कर अपने आचरण में उतार कर सही अर्थों में ईश्वर के शिष्य बनकर समाज में प्रेम व समरसता का वातावरण बनाएँ।

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