मातृभाषा हिन्दी
काव्य साहित्य | कविता वीरेन्द्र जैन15 Jan 2023 (अंक: 221, द्वितीय, 2023 में प्रकाशित)
भाषा कोई भी हो चाहे वो अंग्रेज़ी या फ्रांसीसी,
जब भी बोली जाती है आधार बनाएगी हिन्दी,
अक्षर क्षर क्षर हो जाएँ पर हिन्दी रहती अक्षरणीय,
सारी भाषाओं की ध्वनियों का विज्ञान है ये हिन्दी!!!
केवल राष्ट्र की भाषा ही न राष्ट्र का गौरव है हिन्दी
मन को मोहित करने वाली सुमन सौरभ है हिन्दी
भक्ति की स्वर लाहिरी सी, सुगंधित धूप लोभान जैसी
भोर भए नभ में खग वृन्दों का कलरव है हिन्दी!!
भाषा की नैसर्गिकता से पहचान कराती है हिन्दी
भारत की समृद्ध विरासत का ज्ञान कराती है हिन्दी,
अलंकार, रस, छंदों संग काव्यों में अमृत घुलता है
विश्व में हिन्दी भाषी को सम्मान दिलाती है हिन्दी!!
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