विरासत
काव्य साहित्य | कविता वीरेन्द्र जैन1 Nov 2023 (अंक: 240, प्रथम, 2023 में प्रकाशित)
युद्ध और जंग से गुज़रते
इस दौर में—
सड़कों पर चलते
एंटी माइनिंग टैंकों और
बख़्तरबंद गाड़ियों की आवाज़ों के बीच—
स्कूलों पर गिरती मिसाइलों से
धराशायी होती इमारतों में
मासूमों की चीख पुकार के बीच—
आसमान में उड़ते
अचूक फ़ाइटर जहाज़ों की
कर्णभेदी ध्वनि के बीच—
ढहे हुए घरों की छत में दबे
किसी बुज़ुर्ग के हाथों में
अपने जीवनसाथी की निशानी थामे
मिली लाशों की तस्वीरों के बीच—
अपने अपने घरों को छोड़
रास्तों पर मीलों चलते
लाखों विस्थापितों के
मौन संवादों के बीच—
जब हर कहीं
मज़हबी नफ़रतों के उन्माद स्वर
गूँज रहे हैं,
आने वाली पीढ़ियों के लिए
जो एक सबसे अच्छी विरासत
सहेजी जा सकती है,
वो इसी शहर के किसी बंकर में
भरी आँखों से विदा लेती
एक प्रेयसी की मुस्कान है!!
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