दया का भाव
काव्य साहित्य | कविता डॉ. केवलकृष्ण पाठक15 Jan 2025 (अंक: 269, द्वितीय, 2025 में प्रकाशित)
जीव-दया का भाव हो, मन में श्रद्धा महान,
परमात्मा से कर विनय, सब का हो कल्याण।
सब का हो कल्याण, जीव यदि कोई सताये,
भावना मन में बदले की, फिर कभी न आये।
‘पाठक’ की यह विनय, करो हृदय में धारणा,
व्रत अहिंसा का लेकर, नहीं किसी को मारना।
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