एक दीपक
काव्य साहित्य | कविता गौरव कुमार महतो1 Nov 2021 (अंक: 192, प्रथम, 2021 में प्रकाशित)
दीपावली आने वाली है
अपने अधरों पर मुस्कान लिये
इस त्यौहार को तुम मनाना
और एक दीपक
तुम अपने हृदय में जलाना।
बीती बुरी यादों को
दिल से तुम भुलाना
और एक दीपक
तुम अपने हृदय में जलाना।
परेशानियाँ जितनी भी आयें
दीपक की लौ की भाँति तुम जगमगाना
और एक दीपक
तुम अपने हृदय में जलाना।
आलोक का यह त्योहार
स्वयं रोशन होकर तुम मनाना
और एक दीपक
तुम अपने हृदय में जलाना।
ख़ुशी के इस त्यौहार में
प्रेमपूर्वक सबको तुम गले लगाना
और एक दीपक
तुम अपने हृदय में जलाना
एवं इस दीपक की मदद से
अपने अंदर के अंधकार को मिटाना।
अन्य संबंधित लेख/रचनाएं
टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
कविता
विडियो
उपलब्ध नहीं
ऑडियो
उपलब्ध नहीं