इच्छाएँ
काव्य साहित्य | कविता दीप्ति शर्मा30 Apr 2014
अक्सर ख़ाक होकर भी
पनपती हैं इच्छाएँ
जो अन्दर ही
खोज लेती हैं राह
और कभी अपने
छुपने की जगहें भी।
अन्य संबंधित लेख/रचनाएं
टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
कविता
विडियो
उपलब्ध नहीं
ऑडियो
उपलब्ध नहीं