कर्तव्य
काव्य साहित्य | कविता अमिता1 Apr 2022 (अंक: 202, प्रथम, 2022 में प्रकाशित)
मरने से पहले जीने का
और जीने से पहले मरने का
कर्तव्य निभाना पड़ता है।
कई बार अनेक ज़िंदगियाँ
एक साथ जीने का
कर्तव्य निभाना पड़ता है।
चीखती आवाज़ों की पुकार बन
कभी रूँधे आवाज़ का गला बन
कर्तव्य निभाना पड़ता है।
पिता बन बेटे की ख़्वाहिश पूरी करने का
बेटा बन पिता की ख़्वाहिश पूरी करने का
कर्तव्य निभाना पड़ता है।
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