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बुधिआ को सुई

अभी तोड़ कर लाया हूँ
खेत की मेढ़ से लाया हूँ
ये मकई का मीठा भुट्टा है
अभी कच्चा है
आप यूँ ही खाइये न
डाक्टर सा'ब अब आप
सुई लगाइये न
 
हाथ सने हैं मिट्टी में
नहीं तो गाजर ले आता
बोरा भर रखा है
बाजरे का सिट्टा
कभी झोंपड़े पे आइये न
 
डाक्टर सा'ब अब आप
सुई लगाइये न
 
दर्द कराहता है
पोर पोर में
कह नहीं पाता 
अभावों के शोर में
कुछ तो जुगत
बताइये न
 
डाक्टर सा'ब अब आप
सुई लगाइये न
 
एक गाय है
दो बछिया हैं
एक ही बेटा
दो बिटिया हैं
छोटी को कई दिन से
ताप चढ़ा है
कोई दवा बताइये न
 
डाक्टर सा'ब अब आप
सुई लगाइये न

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टिप्पणियाँ

विवेक शर्मा 2021/07/15 02:01 PM

ऊं जय गुरुदेव

Mayank Bhatnagar 2021/07/15 01:40 PM

बहुत अच्छी कविता मुझे यह पसंद आयी!

पाण्डेय सरिता 2021/07/15 12:33 PM

बहुत खूब

Sarojini Pandey 2021/07/15 09:13 AM

बढ़िया

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