बसंत
काव्य साहित्य | कविता - हाइकु राजेश ’ललित’1 Feb 2022 (अंक: 198, प्रथम, 2022 में प्रकाशित)
फूल खिले हैं,
दस्तक दे रहे हैं,
आया बसंत।
महक उठा
तन, मन, आँगन
देखो बसंत
बौराया आम
बौराया कण कण
खिली धरती
बहका तन
मदमस्त वन
बौरा बसंत
डाल डाल है
खिली खिली है कली
नाचो बसंत
गेहूँ की बाली
है सरसों पीली
रँगा बसंत
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