पर्यावरण
आलेख | सामाजिक आलेख राजेश ’ललित’1 Jun 2023 (अंक: 230, प्रथम, 2023 में प्रकाशित)
पृथ्वी का पर्यावरण आज इतना प्रदूषित हो चुका है कि वैज्ञानिकों ने विश्व को केवल दो सौ वर्ष ही दिये हैं इसे बचाने के लिये।
क्या प्रमुख कारण हैं कि हम इस स्थिति में पहुँच गये हैं? सर्वप्रथम है जनसंख्या। शायद बहुत से पाठक इस बात को नहीं जानते होंगे कि विश्व की वर्तमान जनसंख्या नौ अरब पहुँच चुकी है और इसमें से एक अरब पिछले बारह वर्षों में बढ़े हैं। और अगले एक अरब केवल दस वर्षों में जुड़ जायेंगे। पृथ्वी का धरातल दिन प्रतिदिन कम होता जा रहा है और लोगों के दबाव से संसाधनों में न केवल कमी आई है अपितु इनकी गुणवत्ता भी प्रभावित हुई है। आज वन इसलिये काटे जा रहे हैं कि लोगों के घर बनाये जा सकें। उद्योग लगाये जा सकें। खेती की जा सके। वैज्ञानिकों का मत है कि पृथ्वी का पर्यावरण संतुलन बनाये रखने के लिये लगभग 40% जंगलों का होना आवश्यक है। ऐमज़न के जंगल आधे काटे जा चुके हैं। ऐसा ही कुछ वियतनाम में हुआ है। इन्हें पृथ्वी के फेफड़े कहा जाता है। आधे फेफड़ों को काटा जा चुका है। ऑक्सीजन के मुख्य स्रोत समाप्त होने का है। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि कार्बन उत्सर्जन पिछले सौ वर्षों में दोगुना हो गया है।
1870 की औद्योगिक क्रांति के बाद जो तापमान प्रकृति ने 4.5अरब सालों तक संतुलित किये रखा वह 250 वर्षों में लगभग चार डिग्री बढ़ चुका है। वैज्ञानिकों का यह मानना है कि यदि तापमान में 1.5 डिग्री सैल्सियस की वृद्धि और हो गई तो सारे द्वीपीय देश और समुद्र तटीय शहर समुद्र में समा जायेंगे।
आज पृथ्वी पर हज़ारों जीव प्रजातियाँ लुप्त हो चुकी हैं। केवल जैव प्रजातियाँ ही नहीं अपितु पृथ्वी पर प्राकृतिक रूप से मूल संरचना पर कितना बुरा प्रभाव हुआ है कि ओज़ोन परत में दक्षिण ध्रुव के ऊपर छेद हो चुका है जो प्रतिवर्ष बढ़ रहा है। उत्तरी ध्रुव में कई हज़ार किलोमीटर का ग्लेशियर पिघल चुका है। आईसलैंड में ग्लेशियर पिघल कर नदी बन चुकी है और वहाँ की मछलियाँ लुप्त हो चुकी हैं। यूरोप का हाल बुरा है; स्पेन में एक प्रांत में चार महीने से इतना सूखा पड़ा है कि लोगों को पानी की नियंत्रित मात्रा दी जा रही है। इटली में वेनिस में जहाँ नावों से आवागमन होता था अब गोंडोला (नाव) नाली रूपी नहर में सूखी ज़मीन पर खड़ी हैं। अमेरिका के कैलिफ़ोर्निया में प्रतिवर्ष लाखों हैक्टेयर के जंगल जल जाते हैं। इस वर्ष तो कैनेडा के अल्बर्टा प्रांत के जंगलों में पिछले कई सप्ताह से आग लगी है।
कार्बन उत्सर्जन रोकने के लिये संयुक्त राष्ट्र संघ की कई समितियाँ बनीं पर अनमने प्रयासों के अतिरिक्त कुछ नहीं हुआ। 1.5डिग्री सैल्सियस बढ़ते ही समुद्र सतह का जल पाँच मीटर तक ऊपर जा सकता है। इसके बाद तो यह तापमान प्रतिवर्ष बढ़ेगा। अभी भी समय है हम अपने ग्रह को बताने के प्रयास सच्चे मन से प्रयास करें को शायद हम इसे बचा पाने में सफल हो पायें। यद्यपि आशा क्षीण ही है।
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Very unique and alerting information shared by Respected LALIT SHARMA JI बहुत-बहुत धन्यवाद जी और हम सबको मिलकर पर्यावरण को बचाने की भरपूर कोशिश करनी चाहिए