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राजेश 'ललित' – 004

सूरज को भी
चाह थी
दो पल 
ठहराव की
जेठ की 
तपती दोपहरी
चलते हुये पंथी
को बरगद की
छाँव की
बरगद भी
तपता दिन भर
छाँव देता
फिर भी

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टिप्पणियाँ

कृति 2021/12/13 08:04 PM

बहुत अच्छा।

कृपया टिप्पणी दें

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