चुनावी चौपड़
हास्य-व्यंग्य | हास्य-व्यंग्य कविता राजेश ’ललित’15 Mar 2024 (अंक: 249, द्वितीय, 2024 में प्रकाशित)
चलो चुनावी चौपड़ खेलें
फेंकें अपने-अपने पासे,
ध्यान रखें उसकी गोटी पर
कौन कहाँ पर काटे?
जनता बेचारी पाँच बरस तक,
इनका मुँह है ताके।
चतुर खिलाड़ी चुनावी चौपड़ के ये
फेंकें हर बार नये नये पासे
मतदाता हर बार आ जाता
देते ऐसे-ऐसे झाँसे
चुनावी चौपड़ बिछी हुई है
फेंक रहे हैं रेवड़ियों के पासे
किसकी गोटी कहाँ पिटेगी?
खेल जीतना लक्ष्य है अपना
कैसे मतदाता को फाँसें!
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