मातृभाषा
काव्य साहित्य | कविता विजय नगरकर1 Mar 2023 (अंक: 224, प्रथम, 2023 में प्रकाशित)
इनकी-उनकी भाषा
नौकर-मालिक की भाषा
ग्राहक-दुकानदार की भाषा
पत्र-ईमेल की भाषा
जनता-सरकार की भाषा
इसकी-उसकी भाषा
इनकी-उनकी भाषा
नौकर-मालिक की भाषा
ग्राहक-दुकानदार की भाषा
पत्र-ईमेल की भाषा
जनता-सरकार की भाषा
गाँव-शहर की भाषा
इन भाषाओं के कोलाहल में
मेरी मातृभाषा मौन है,
माँ मैं भूल गया हूँ तेरी पावन भाषा
तेरे संस्कार, प्रेम, स्नेह की भाषा
जन्म से पहले, तेरे गर्भ में
अन्न पानी ग्रहण करते हुए
चुपचाप सुनता था
तेरी मधुर गीत भाषा,
माँ मुझे फिर अपने गर्भ में धारण कर
तेरी भाषा प्रदान करेगी जीवनरस
कर मुझसे प्रतिपल संवाद,
मैं बोलना चाहता हूँ
तेरे साथ तेरी भाषा का वह पहला शब्द,
तेरे गर्भ घर की पवित्र भाषा
जो करेगी मुझे आलोकित
अचल रहूँगा समय के चक्रवात में
मेरा जीवनमार्ग रहेगा प्रकाशित।
गाँव-शहर की भाषा
इन भाषाओं के कोलाहल में
मेरी भाषा मौन है,
माँ मैं भूल गया हूँ तेरी पावन भाषा
तेरे संस्कार, प्रेम स्नेह की भाषा
जन्म से पहले, तेरे उदर में
अन्न पाणी ग्रहण करते हुए
चुपचाप सुनता था
तेरी मधुर गीत भाषा,
माँ मुझे फिर अपने गर्भ में धारण कर
मातृ भाषा के साथ मुझसे संवाद कर
मैं बोलना चाहता हूँ
तेरे साथ तेरी भाषा का वह पहला शब्द
तेरे उदर घर की मातृ भाषा
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