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श्रमिक संगठनों में हिंदी का प्रयोग

 (राजभाषा अनुभव–4) 

 

38 वर्षों की सेवा के दौरान मैंने हिंदी भाषा के प्रति लोगों के दृष्टिकोण में एक क्रांतिकारी परिवर्तन देखा है। विशेषकर श्रमिक संगठनों में, हिंदी अब एक प्रमुख संचार माध्यम बन गई है। यह देखकर अत्यंत प्रसन्नता होती है कि आज सभी संगठन सीधे और स्पष्ट रूप से हिंदी भाषा में अपने सदस्यों से संवाद कर रहे हैं। 

हमारे विभाग के कर्मचारी और अधिकारी वर्ग का मुख्यालय नई दिल्ली है। मुख्यालय से समाचार पत्र हमेशा सिर्फ़ अंग्रेज़ी में प्रकाशित होता था। मेरे टेबल पर संगठन के पदाधिकारी अंग्रेज़ी समाचार बुलेटिन रखकर निकल जाते थे। विभाग के नियम, कर्मचारियों के प्रश्न, न्यायालय के मामले, संगठन के अधिवेशन, चर्चा सत्र, प्रबंधन के साथ संपन्न बैठकों का विवरण आदि सभी सामग्री अंग्रेज़ी में प्रकाशित होती थी। 

हमारे तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी मुझे उस बुलेटिन का संक्षिप्त अनुवाद मराठी और हिंदी में माँगते थे। मैंने हर बार उसका अनुवाद हिंदी में किया है। 

मुझे आश्चर्य होता था कि कर्मचारियों के हितों के लिए उनका संघर्ष सिर्फ़ अंग्रेज़ी भाषा में प्रकाशित होता था। नई दिल्ली के उनके मुख्यालय के पदाधिकारी प्रबंधन से बात हिंदी में करते थे। बैठक के कार्यवृत्त अंग्रेज़ी में जारी करते थे। 

20 साल पहले दिल्ली में आयोजित एक राष्ट्रीय सम्मेलन में मैंने वामपंथी नेताओं से प्रश्न किया था कि वे ग़रीब जनता और कामगारों की बात अंग्रेज़ी में क्यों करते हैं? मैंने उनसे कहा था कि आपके कामगार वर्ग की भाषा हिंदी है, न कि अंग्रेज़ी। अंग्रेज़ी बुर्जुआ वर्ग और हुकूमत की भाषा है। मैंने यह भी कहा था कि आपके सभी सदस्य हिंदी अच्छी तरह से जानते हैं, फिर भी आपके सांसद संसद में अंग्रेज़ी में बोलते हैं। 

मैंने सीपीआई के सेंट्रल पोलिट ब्यूरो को भी हिंदी के प्रयोग को बढ़ावा देने के लिए एक पत्र लिखा था। 

सेवानिवृत्ति के बाद मुझे यह देखकर अत्यंत संतोष होता है कि मेरा यह सपना धीरे-धीरे साकार हो रहा है। श्रमिक संगठनों में हिंदी भाषा का प्रवेश एक स्वागत योग्य परिवर्तन है। 

यह परिवर्तन सिर्फ़ एक भाषा के प्रयोग से परे है। यह एक विचारधारा का परिवर्तन है। यह इस बात का प्रमाण है कि हम अपनी मूल भाषा और संस्कृति को अपनाने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। 

हिंदी पखवाड़े के दौरान सभी संगठन के नेताओं ने हिंदी भाषा के प्रति जो उत्साह दिखाया है, वह सराहनीय है। यह स्पष्ट संकेत है कि राजभाषा हिंदी को अब वह सम्मान मिल रहा है जिसकी वह हक़दार है। 

मैं सभी उन लोगों को धन्यवाद देना चाहता हूँ जिन्होंने हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार में अपना योगदान दिया है। मुझे विश्वास है कि आने वाले समय में हिंदी भाषा और अधिक मज़बूत होगी और हमारी राष्ट्रीय एकता को मज़बूत बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। 

जय हिंदी! जय हिंद! 

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