मज़दूर का लंच बॉक्स
काव्य साहित्य | कविता विजय नगरकर15 May 2021 (अंक: 181, द्वितीय, 2021 में प्रकाशित)
पहले डिब्बे में
मालिक की दहशत,
दूसरे डिब्बे में
भाषा, जाति,
धर्म की अस्मिता,
और अंतिम तीसरे डिब्बे में
रूखा सूखा रोटी का टुकड़ा
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