मंगल फ़ॉन्ट से हुआ भारतीय भाषाओं का मंगल
आलेख | काम की बात विजय नगरकर1 Jan 2025 (अंक: 268, प्रथम, 2025 में प्रकाशित)
भारतीय भाषाओं का यूनिकोड से आधुनिक डिजिटल युग में प्रवेश साकार करनेवाले माइक्रोसॉफ़्ट वर्ड के मंगल और मंगल प्रोफ़ॉन्ट के डिज़ाइनर प्रो. रघुनाथ जोशी जी के योगदान की बहुत कम चर्चा हुई है।
यूनिकोड मंगल फ़ॉन्ट के कारण भारतीय भाषाओं का वैश्विक स्तर पर मशीनी अनुवाद और लिप्यंतर सुविधा उपलब्ध हुई है।
आज सोशल मीडिया जैसे फ़ेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप, टेलीग्राम जैसे हज़ारों डिजिटल प्लैटफ़ॉर्म पर भारतीय भाषाओं की सामग्री (content) बेशुमार बढ़ा है।
रघुनाथ जोशी एक प्रतिष्ठित फ़ॉन्ट डिज़ाइनर थे, जिन्हें हिंदी फ़ॉन्ट मंगल के निर्माता के रूप में जाना जाता है। मंगल, विंडोज़ ऑपरेटिंग सिस्टम में हिंदी का डिफ़ॉल्ट फ़ॉन्ट है और इसका उपयोग दुनिया भर में लाखों लोग करते हैं।
मंगल फ़ॉन्ट के बारे में:
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ओपनटाइप यूनिकोड फ़ॉन्ट: मंगल एक ओपनटाइप यूनिकोड फ़ॉन्ट है, जो देवनागरी लिपि में लिखी जाने वाली सभी भाषाओं जैसे हिंदी, मराठी, नेपाली और संस्कृत के लिए उपयुक्त है।
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माइक्रोसॉफ़्ट का डिफ़ॉल्ट फ़ॉन्ट: यह माइक्रोसॉफ़्ट कॉर्पोरेशन द्वारा विकसित और बनाए रखा जाता है और विंडोज़ के लिए डिफ़ॉल्ट हिंदी फ़ॉन्ट के रूप में चुना गया था।
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यूज़र इंटरफ़ेस फ़ॉन्ट: मंगल को विशेष रूप से यूज़र इंटरफ़ेस के लिए डिज़ाइन किया गया था, जिसका मतलब है कि यह वेबसाइटों, दस्तावेज़ों और अन्य डिजिटल सामग्री में पढ़ने में आसान है।
रघुनाथ जोशी के अन्य योगदान:
जोशी ने माइक्रोसॉफ़्ट में काम करते हुए कई अन्य देवनागरी फ़ॉन्ट भी विकसित किए थे, जिनमें गौतमी, रावि, श्रुति, तुंगा, कार्तिका, वृंदा, लता और राघुतामिल रोमन शामिल हैं। उन्होंने हिंदी के लिए पहला ओपनटाइप फ़ॉन्ट (मंगल) और तमिल के लिए पहला ओपनटाइप फ़ॉन्ट (लता) भी बनाया।
रघुनाथ जोशी ने भारतीय भाषाओं, विशेष रूप से हिंदी के लिए कंप्यूटर फ़ॉन्ट के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। मंगल फ़ॉन्ट ने लाखों लोगों को हिंदी में डिजिटल सामग्री बनाने और पढ़ने में सक्षम बनाया है।
उनका संक्षिप्त परिचय
प्रोफ़ेसर रघुनाथ के जोशी (1936-2008): सुलेखक, डिज़ाइनर, कवि, शोधकर्ता और शिक्षक।
जनसंचार उद्योग में 30 वर्षों के सफल कैरियर के बाद, प्रोफ़ेसर जोशी ने मुंबई में आईडीसी/आईआईटी में 15 वर्षों तक डिज़ाइन पाठ्यक्रम पढ़ाए। बाद में उन्होंने मुंबई में सेंटर फ़ॉर डेवलपमेंट ऑफ़ एडवांस कंप्यूटिंग (सी-डैक) में अतिथि डिज़ाइन विशेषज्ञ के रूप में कार्य किया।
प्रोफ़ेसर जोशी ने फ़ॉन्ट डिज़ाइन सॉफ़्टवेयर, भारतीय भाषा वर्ड प्रोसेसिंग पैकेज विकसित करने में मदद की और माइक्रोसॉफ़्ट विंडोज़ और लिनक्स के लिए भारतीय फ़ॉन्ट्स की शृंखला तैयार की। उन्होंने भारतीय अक्षरों के विभिन्न पहलुओं पर प्रदर्शनियों, कार्यशालाओं और संगोष्ठियों का आयोजन किया और शैक्षणिक संस्थानों और सार्वजनिक स्थानों पर अपनी सुलेख कलाकृतियों का प्रदर्शन किया।
उन्होंने कविताएँ भी लिखीं, बहुभाषी कार्यक्रमों का मंचन किया, बहुभाषी संचार अभियानों की योजना बनाई और भारतीय पांडुलिपियों और शिलालेख लेखन में पहली बार सुलेख संबंधी शोध किया। प्रोफ़ेसर जोशी ने ATypI, TDC, Icograda और अन्य संगठनों के लिए भारतीय डिज़ाइन, सुलेख, टाइप डिज़ाइन, कंप्यूटोग्राफी पर बात की। उन्हें सीएजी हॉल ऑफ़ फेम (1992) और एड क्लब विशिष्ट उपलब्धि पुरस्कार (2004) सहित कई पुरस्कार मिले।
पिछले कुछ वर्षों से, प्रोफ़ेसर जोशी ने रत्ना रामनाथन के साथ भारत के लिए ATypI देश प्रतिनिधि के कर्त्तव्यों को साझा किया था। प्रोफ़ेसर आर.के. जोशी का 5 फरवरी 2008 को 72 वर्ष की आयु में सैन फ्रांसिस्को में निधन हो गया।
भारतीय फ़ॉन्ट डिज़ाइन
भारतीय फ़ॉन्ट डिज़ाइन का क्षेत्र विविधता से भरा हुआ है, जिसमें भारत के विभिन्न भाषाओं और लिपियों का प्रतिनिधित्व करने वाले फ़ॉन्ट शामिल हैं। यहाँ कुछ महत्त्वपूर्ण पहलुओं का विवरण है:
विविधता: भारत में 22 आधिकारिक भाषाएँ हैं, और प्रत्येक के लिए अलग-अलग लिपियाँ हैं जैसे देवनागरी, गुजराती, तमिल, बंगाली इत्यादि। इस विविधता के कारण, फ़ॉन्ट डिज़ाइनरों के लिए प्रत्येक लिपि के अनुकूल फ़ॉन्ट बनाना एक चुनौती होती है।
लिपि विशेषताएँ: भारतीय लिपियाँ अक्सर अक्षरों के मिलन और मात्राओं के उपयोग में जटिल होती हैं। फ़ॉन्ट डिज़ाइनरों को इन विशेषताओं को ध्यान में रखते हुए फ़ॉन्ट बनाना पड़ता है ताकि पाठ पठनीय और सुंदर बना रहे।
तकनीकी चुनौतियाँ: भारतीय फ़ॉन्ट डिज़ाइन में तकनीकी चुनौतियाँ भी शामिल हैं, जैसे कि अक्षरों के विभिन्न आकार, मात्राओं का सही प्रदर्शन, और फ़ॉन्ट की संगतता विभिन्न प्लेटफ़ार्मों जैसे विंडोज़, मैक, और वेब पर।
प्रसिद्ध डिज़ाइनर:
कई प्रसिद्ध डिज़ाइनर भारतीय फ़ॉन्टों को डिज़ाइन करने में योगदान दे रहे हैं। उदाहरण के लिए, पिंगली वेंकैया को भारतीय राष्ट्रीय ध्वज के डिज़ाइन के लिए जाना जाता है, लेकिन उन्होंने कुछ फ़ॉन्ट डिज़ाइन में भी योगदान दिया है। इसके अलावा, आधुनिक डिज़ाइनर जैसे तसनीम अली ने नए लोगो और डिज़ाइनों के साथ एयर इंडिया के लिए काम किया है।
फ़ॉन्ट सॉफ़्टवेयर:
भारतीय फ़ॉन्ट डिज़ाइन के क्षेत्र में कई सॉफ़्टवेयर उपलब्ध हैं जो कलीग्राफी फ़ॉन्ट्स और पब्लिकेशन फ़ॉन्ट्स के निर्माण में सहायता करते हैं। उदाहरण के लिए, IndiaFont ने कई भारतीय भाषाओं के लिए फ़ॉन्ट डिज़ाइन सॉफ़्टवेयर उपलब्ध कराया है।
शिक्षा और शोध:
भारत में, डिज़ाइन और मैन्युफैक्चरिंग के लिए संस्थान जैसे आईआईआईटीडीएम, जबलपुर, डिज़ाइन पाठ्यक्रमों के माध्यम से फ़ॉन्ट डिज़ाइन की शिक्षा और शोध को बढ़ावा देते हैं।
भारतीय फ़ॉन्ट डिज़ाइन न केवल तकनीकी कौशल की माँग करता है बल्कि सांस्कृतिक और कलात्मक समझ की भी आवश्यकता होती है, जिससे यह क्षेत्र अत्यंत रोचक और चुनौतीपूर्ण बना हुआ है।
मंगल फ़ॉन्ट से हुआ भारतीय भाषाओं का मंगल
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