अजनबी सी रात आयी
काव्य साहित्य | कविता सरिता यादव23 Feb 2019
अजनबी सी रात आयी।
न जाने किसे -
अपना बनाने आयी?
एक-एक क्षण नया
पंख फैलाती आयी।
हर सभी को
अपना बनाती आयी।
चाँद तारे रात काली साथ-
हल्की-हल्की हवा लायी
थके-थके से मन को
आनंदित करने आयी।
आप-धापी से ऊब चुके हैं,
अपने को भूल चुके हैं,
बिछड़ों को मिलाने आयी
अजनबी सी रात आयी,
सभी को अपना बनाने आयी।
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