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आदिपुरुष समीक्षा 

 

सनातन है धर्म मेरा 
सनातनी है गुण मेरा 
जो हमको भड़काओगे 
फिर कहाँ बचकर जाओगे 
यहाँ हर घर में नर में राम, 
नारी में सीता माता हैं। 
आदिपुरुष में कथा पलट दी क्या 
तुमको यही भाता हैं
आदिपुरुष देख बच्चे क्या इतिहास बतायेंगे, 
क्या हमारे धर्मग्रन्थ हँसी के पात्र बन जाएँगे। 
वक़्त अभी हैं सँभल जाओ, 
जनता अब निरीह नहीं, 
तू तड़ाक की भाषा देवों के लिए क्या है सही, 
आधुनिकतावाद की चाह ने सब कुछ बदल दिया, 
घर से मकान, गाँव हुए वीरान, 
मेट्रो, प्लाज़ा, इमारतें ऊँची। 
इतना सब कुछ हो गया, पर ये ना होने पाएगा, 
देवताओं को आधुनिकता में रंगने से 
चारों और पतन हो जाएगा, 
सीता देवी माता रूप में ही सुहाए 
फ़ैशन की प्रतिमूर्ति नहीं चाहिए 
श्रीराम हमारे आदर्श हैं 
मर्यादा उनकी उत्तम, पुरुषों में है वो पुरुषोत्तम। 
संस्कारों से ना छेड़छाड़ करो, 
टिकने नहीं पाओगे, 
इस भारत में तुम कैसे मुँह दिखाओगे, 
पूजनीय देव हैं हमारे, 
हँसी की कोई बात नहीं, 
पूरा चलचित्र ही बना दिया कार्टून 
इससे शर्मसार कोई और घटना नहीं। 

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