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हिंदी भाषा 

हिंद देश के वासी हम चलो इसका मान बढ़ाएँ 
हिंदी को सब लोग मिलकर क्यों ना जन-जन तक पहुँचाएँ 
हो सर्व सुलभ हिंदी ऐसी 
साहित्य का ज्ञान बढ़ाएँ
सब को हिंदी से प्रेम हो
कुछ ऐसा करके दिखाएँ
दिन प्रतिदिन कुछ ना कुछ
लोगों को जगाएँ 
हिंद के प्रति समर्पित कुछ 
कविताएँ, गीत, नाटक, सबको पढ़ाएँ। 
राष्ट्रकवि से लेकर सब कवियों की गाथा सुनाएँ। 
क्या रहा इतिहास इसका चलो सबको बताएँ॥
 
हो जयशंकर प्रसाद या प्रेमचंद, 
मीरा हो या रसखान हो 
हो कबीर चाहे, सूरदास 
जायसी हो या मैथिलीशरण गुप्त हो 
राष्ट्रवाद की भावना सबमें प्रबल रही 
सभी को प्रेम हिंदुस्तान से 
सभी की आन, बान जुड़ी हिंदी से ही थी 
फिर से अब स्वर बुलंद होगा 
हिंदी का परचम घर घर लहराएगा 
पढ़ो पढ़ो पढ़ना ज़रूरी है 
लिखो लिखो लिखना भी सबसे ज़्यादा ज़रूरी है।
यही नारे गूँजेंगे दिन रात 
हिंदी गूँज उठेगी भारत की सरज़मीं पर
होगा फिर से शंखनाद
होगी हिंदी की फिर से जय जयकार

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