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करवाचौथ का चाँद 

यूँ तो तुम रोज़ मेरी मुँडेर पर आकर 
दस्तक देते हो 
रोज़ तुमसे ढेरों बातें भी होती हैं। 
पर आज की बात कुछ ख़ास है
आज मेरा भी रंग तुम्हारे जैसा 
दमका है
तुम्हारी शुभ्रता में खो जाने को जी चाहता है
आज तुम्हारा इंतज़ार कुछ ख़ास है
आज तुम मेरे प्रियतम सखा नहीं हो 
आज तुम चंद्र देव हो 
जिनसे मैं ढेरों, दुआएँ ओर आशीर्वाद चाहती हूँ, 
अपने जीवन में आ रही सारी परेशानियों का जवाब चाहती हूँ 
जोड़ा मेरा अमर रहे, ऐसा आशीर्वचन बेहिसाब चाहती हूँ 
तुम्हारी शीतलता में ख़ुद भी शीतल होना चाहती हूँ
आज पिय के संग तुम्हारा दीदार करूँगी 
हाथ जोड़, पुष्प अर्पित कर आज तुम्हें प्रसन्न करूँगी। 
जन्मो-जन्मांतर रहे पिय का साथ 
ऐसा वचन चाहती हूँ 
रूप रंग दमके, फुलवारी रहे सलामत मेरी 
चेहरे पर ना आने पाए धूमिलता 
ऐसा प्रतिदिन चाहती हूँ। 
ये जो करवाचौथ का चाँद है
कितनी ही स्त्रियों का ख़ास है
उज्ज्वलता से धीरे धीरे लालिमा की ओर बढ़ जाते हो 
इस दिन चंद्रदेव बड़ा इंतज़ार कराते हो। 
हाथ जोड़ूँ करूँ प्रणाम 
विनती करूँ बारम्बार 
रहे सलामत मेरा सजना 
बस यही हे अरदास॥

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