जीवन
काव्य साहित्य | कविता विकास कुमार शर्मा15 Feb 2025 (अंक: 271, द्वितीय, 2025 में प्रकाशित)
हिमगिरि के उतुंग शिखर की
शीतल छाँव में बैठकर
प्रलय का प्रवाह देखा था
उस ऋषि ने।
सारे समीकरण
ध्वस्त हो गए
जब हुआ उजास
सृष्टि में
कितना सशक्त है
जीवन।
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