जीवन तिमिर में हो उदय क्यों मौन है
काव्य साहित्य | कविता आनन्द कुमार राय1 Feb 2023 (अंक: 222, प्रथम, 2023 में प्रकाशित)
पूछता है प्रश्न हृदय
यह कौन है?
जीवन-तिमिर में हो उदय
क्यों मौन है?
अधरों पर पुलकित मन्द स्मित,
अपरिचित, अज्ञान-सी
अपलक, नयनाभिरामी, दृष्टि-विस्मित,
स्थिति अभिमान-सी
डगमगाते, लड़खड़ाते पग न ऐसे थे कभी
रास्ता यह कौन है?
जीवन-तिमिर में हो उदय
क्यों मौन है?
कौंधती दाड़िम, नीशीथ के अंधकार को एक पल
स्मृति भी दौड़ती उर में अचानक आजकल
तिलमिलाती स्मृति के दिन न पहले थे कभी
यह ललक कौन है?
जीवन-तिमिर में हो उदय
क्यों मौन है?
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