हृदय मिले तो मिलते रहना अच्छा है
काव्य साहित्य | कविता डॉ. तारा सिंह14 Oct 2007
हृदय मिले तो मिलते
रहना अच्छा है
वक्त के संग - संग
चलते रहना अच्छा है
ग़म का दरिया अगर
ज़िन्दगी को समझो
धार के संग - संग
बहते रहना अच्छा है
ख़ुदा मदद करता
उनकी जो ख़ुद की करते
हिम्मत से ख़ुद -
बढ़ते रहना अच्छा है
अगर विश्व है,
मंदिर-मस्जिद के अधीन
नियमित मंत्रों का
जपते रहना अच्छा है
ठीक नहीं नज़रों का
फ़ासला 'तारा' से
चाँद अंजुरी में उगते
रहना अच्छा है
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